Read a short story in Khari Boli Hindi of Meerut (source Dhirendra Verma, 1930)

मेरठ की खड़ी बोली में एक कथा ( स्रोत :धीरेन्द्र वर्मा 1933)
एक दिन अकबर बादसा ने बीरबल ते पुच्छा, ओ बीरबल तू हमें बड़द का दूध ला दे ओर नहीं तेरी खाल कढ़वाई जागी। बीरबल कूँ बहोत रंज हुआ ओर हुन्तर आण के अपने घरूँ पड़ रहा ।
बीरबल की लोण्डी ने अपणे मन में कहा की” आज तो मेरा बाप बहोत सोच में पड़ा हे। आज के जाणे इसका का के ढब हुआ । जिब उन नें अपणे बाप के पुच्छा, अरे बाप आज तेरा केढब हे । बीरबल नें कहा की बेटी कुछ ना हे । फेर लोण्डी नें पुच्छा की पिता अपणे मनका भेद बताणा चाहये। जिब उननें कहा की बादसा नें कहा की के तो बड़द का दूध ला दे नहीं तुझे कोल्हू में पिलवाऊँगा। मेरे तें कुछ नहीं कहा गया ओर हाम्मी भर के आया हूँ ओर कुछ राह नहीं पात्ता। लोण्डी ने कहा की बाप, या तो कुछ भी बात नाँ हे। तुम बे फिकर रओ।
खेर, जिब तड़का हुआ तो उस लोण्डी ने के काम करा की अपणा सब सिंगार करा ओर बहोत अच्छी पुसाक पहर के ओर कुछ कपड़े हाथ में ले के बादसा के किले के आगे कूँ लिकड़ जमना पर गई। बादसा किले पे चढ़ के जमना की सेल कर रहे थे। अकबर नें देखा की वीरबल की लोण्डी लत्ते धो रही हे । बादसा ने लोण्डी ते पुच्छा की ए लोण्डी आज क्यों तड़के ही तड़के लत्ते धोवण आई हे। जिब उस लोण्डी ने कहा की बादसा आज मेरे बाप के लड़का हुआ हे।बादसा ने छोह में आ के कहा अरी लोण्डी भला कहीं मरदूँ के भी लोण्डे होते सुणे हे ।लोण्डी ने कहा की बादसा भला कहीं बड़द के भी दूध होता सुणा हे । जिब बादसा कूँ कुछ बोल नहीं आया ओर लोण्डी कूँ कह दिया की तड़के ही तड़के बीरवल कूँ कचहड़ी में भेज दे ।
बीरवल तड़के ही कचहड़ी में गया । बादसा नें पुच्छा की बीरबल लाया बड़द का दूध । बीरबल ने कहा क बादसा सलामत मैं तो कल तड़के ही लोण्डी के हाथ भेज दिया था। बादसा-कूँ कुछ बोल न आया।