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भारत में एक दीवार

हिन्दी के कुछ मुहावरों से जुड़ी कहानियाँ प्रस्तुत हैं :

 

तीन में न तेरह में, न सेर भर सुतली में, न करवा भर राई में (a nonentity, a minion)

— अर्थात ऐसा व्यक्ति जो किसी गिनती में न हो 

किस्सा है कि पुराने ज़माने की किसी मशहूर नाचनेवाली ने अपने चाहनेवाले लोगों को अलग-अलग कई श्रेणियों में बाँट रखा था। पहली श्रेणी में तीन व्यक्ति थे, जिन्हें वह सबसे अधिक चाहती थी, फिर तेरह थे, फिर वे थे, जिनकी गिनती उसने सुतली में गाँठे लगाकर कर याद रखी थी, सबसे अंत में थे वे साधारण व्यक्ति, जिनके नाम का राई का एक दाना वह एक करवे में डाल दिया करती थी। एक बार उसके यहाँ एक व्यक्ति आया और बोला कि मैं यहाँ पहले भी आया करता था और तुम्हें बहुत धन दिया है। पर नर्तकी ने उसे नहीं पहचाना और अपने नौकर से कहा कि देखो यह किसमें है। तब नौकर ने उक्त जवाब दिया।

सेर भर = लगभग 933 ग्राम

करवा = मिट्टी का बना लोटे जैसा बरतन

 

टेढ़ी खीर (an impossible or difficult task)

कहते हैं कि एक आदमी ने किसी अंधे व्यक्ति से पूछा ‘खीर खाओगे ?’ अंधे ने पूछा ‘खीर कैसी होती है ?’ उस आदमी ने जवाब दिया ‘सफ़ेद’। फिर अंधे ने पूछा ‘सफ़ेद कैसा ?’ उसने जवाब दिया ‘जैसा बगुला दिखता है। अंधे ने पूछा – बगुला कैसा होता है? इस पर उस आदमी ने हाथ टेढ़ा करके दिखाया। अंधे ने हाथ टटोलकर कहा—’यह तो टेढ़ी खीर है, न खाई जाएगी। इस तरह यह पद एक मुहावरा बन गया।

 

चिलचिलाती धूप (scorching sunshine)

कहते हैं कि भरी दुपहरी में जब बहुत तेज़ धूप पड़ रही हो, तभी चील अंडा देती है और अंडा छोड़ते वक़्त चिल्लाती है । इसलिए तेज़ धूप या गरमी को ‘चील-चिल्लाती’ धूप या गरमी कहते होंगे । यह ‘चील-चिल्लाती‘ पद ‘चिलचिलाती’ बन गया है।