यूगोस्लाविया












अस्सी-नब्बे के दशकों में बड़े हो रहे बच्चों के लिए सोवियत संघ, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया आदि देश और उनकी राजधानियों के नाम याद होना सामान्य ज्ञान ठीकठाक होने की निशानी समझे जाते थे। मॉस्को से प्रकाशित चिकने कागज़ पर छपी “सोवियत संघ” नामक हिन्दी की पत्रिका हमारे घर भी तिमाही आती थी। यह पत्रिका डाक से सीधे मॉस्को से भारत आती थी। इस पत्रिका में यूगोस्लाविया का नाम कई बार आता था। वैसे मैंने स्कूली किताबों और अख़बारों में यह नाम कई बार पढ़ा था। यह भी पढ़ा था कि यूगोस्लाविया एक साम्यवादी परन्तु समृद्ध गणराज्य है।

कई सालों बाद पता चला कि यूगोस्लाविया नाम पड़ा है : यूगो और स्लाविया से। स्लाविक भाषाओं में यूगो “दक्षिण” का अर्थ रखता है। और “स्लाविया”: यह “स्लाव लोगों की भूमि” को संदर्भित करता है। इस तरह से यूगोस्लाविया मतलब दक्षिणी स्लाव लोगों का देश।
हालांकि यूगोस्लाविया का गठन प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 में हुआ और 1992 में इसका विघटन हो गया। इस दौरान जोसिप ब्रोज़ टिटो के नेतृत्व में इस देश ने आश्चर्यजनक रूप से विकास किया और औद्योगिक तथा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन गया।
खेल के मैदान में भी इस देश ने बहुत नाम कमाया। इस अंतराल में हुईं ओलम्पिक प्रतियोगिताओं में यूगोस्लाविया ने शानदार प्रदर्शन किया। इस देश के नामचीन खिलाड़ियों में से एक नाम मोनिका सेलेस का लिया जाता है, जिन्होंने टेनिस में नए कीर्तिमान स्थापित किए। वही मोनिका सेलेस जिन्हें 1993 में विश्व प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी स्टेफी ग्राफ़ के एक उग्र जर्मन प्रशंसक ने छुरा मारकर घायल कर दिया था। इस हिंसात्मक हमले के बाद मोनिका सेलेस दो साल तक खेल से बाहर रहीं और बाद में उनकी धमाकेदार वापसी हुई।
भाषा और साहित्य की दुनिया में मेरी आवाजाही बढ़ने के साथ मेरा परिचय यूगोस्लाविया के मशहूर कवि वास्को पोपा के साहित्य (1922-1991) से हुआ। वास्को पोपा की रचनाओं का अनुवाद विश्व की कई भाषाओं में हुआ है। उनकी कविताओं में आधुनिकतावाद और लोक परम्परा को परस्पर एक साथ खड़ा किया गया है। रोमानियाई मूल के लेकिन यूगोस्लाविया (सर्बिया) में जन्मे क्रोएशियाई- सर्बियाई भाषा में लिखने वाले इस कवि की एक कविता का हिन्दी अनुवाद आप नीचे पढ़ सकते हैं।
यूगोस्लाविया के कवि वास्को पोपा (1922-1991) की कविता Село мојих предака (Selo mojih predaka) का हिन्दी अनुवाद (अभिषेक अवतंस)।
मेरे पूर्वजों का गाँव
कोई मुझे गले लगा रहा है।
कोई मुझे भेड़िये की नज़रों से देख रहा है।
कोई अपनी टोपी उतार रहा है,
ताकि मैं उन्हें ठीक से देख सकूँ।
सब लोग मुझसे पूछते हैं,
क्या तुम जानते हो, मैं तुम्हारा क्या लगता हूँ?
अपरिचित बूढ़े मर्द और औरतें
उन लड़कों और लड़कियों के नाम अपना लेते हैं,
जो मेरी स्मृति में बसे हैं
और मैं उनमें से एक से पूछता हूँ:
सच-सच बताओ,
क्या जॉर्जे वुक अभी भी जीवित हैं?
“वह मैं ही हूँ,” वे जवाब देते हैं,
जैसे किसी दूसरी दुनिया से आवाज़ आई हो।
मैं उनका गाल अपने हाथ से सहलाता हूँ
और अपनी आँखों से उनसे विनती करता हूँ
कि मुझे बताएँ
क्या मैं अभी भी जीवित हूँ?

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