
इतालवी में कोलोसियम को कोलोस्सेओ कहते हैं। सबसे नज़दीक के मेट्रो स्टेशन का नाम भी यही है। मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलते ही यह बेहद विशाल एम्फ़ीथियेटर सामने प्रकट हो जाता है। बहुत पुराना है लेकिन शानदार है। इसमें घुसने के लिए एयर पोर्ट स्टाइल सुरक्षा जाँच से गुज़रना पड़ता है। भीड़ भी बहुत होती है। अंदर कुछ खास नहीं है। लेकिन यह सोचना पड़ता है कि कैसे इस सभागार में 50 हज़ार लोग एक साथ बैठते थे। कोलोसियम के बाहर भारी संख्या में बांग्लादेशी या अफ़्रीकी मूल के हॉकर टहलते दिखाई देते हैं। कोई सेल्फ़िस्टिक बेच रहा है तो कोई पावर बैंक, तो कोई मेमोरिबिलिया। मैंने पाया है कि बांगलादेशी लोग ग्लोबल स्तर पर उसी तरह फैले हुए हैं जैसे बिहार के लोग समूचे भारत में पाए जाते हैं। बांग्लादेशी लोग इटली समुद्री मार्ग से आते हैं। ऐसा करने के लिए पहले उन्हें लाखों रुपए अपने देश में मानव तस्करी करने वालों गिरोहों को देने पड़ते हैं जो उन्हें लीबिया, तुर्की या ग्रीस के रास्ते इटली तक पहुँचाते हैं। एक बात ग़ौर फ़रमाने की है कि बांग्लादेशी समुदाय इटली में सबसे रोज़गारमंद प्रवासी समुदाय है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि ये लोग इटली आकर जल्दी से जल्दी इतालवी भाषा सीखने के लिये पुरज़ोर प्रयास करते हैं, जिससे उन्हें बेहतर रोज़गार मिले। भाषा सीखने के लिए ये लोग अपने समुदाय के ही एक्सपर्ट भाषा जानकार की मदद लेते हैं। आमतौर पर बांग्लादेशी लोग मुझे हॉकर, पेट्रोल पंप, गाड़ी धुलाई, रेस्त्रा में वेटर, साफ़ सफ़ाई आदि के काम में लगे मिले। अपने देश में लिये कर्ज़ को चुकाने के लिए ये लोग बहुत सीमित साधनों में गुज़ारा करते हैं। एक अकेले कमरे में 5-6 लोग एक साथ रहते हैं। और अपनी आय का बड़ा हिस्सा वापस अपने देश भेजते हैं। इनमें से कई इटली में अवैध रूप से रहते हैं, और पुलिस का ख़ौफ़ हमेशा इनके सर पर मंडराता रहता है। पुलिस हॉकर टाइप के युवा बांग्लादेशियों के साथ अच्छा बर्ताव भी नहीं करती। मैंने कोलोस्सेओ मेट्रो स्टेशन पर ही दो पुलिसवालों को एक बांग्लादेशी हॉकर को गरदन से धकेलकर ले जाते हुए देखा। ऐसा लग रहा था कि वे उस पानी की बोतल बेचने वाले लड़के को एक्स्केलेटर से नीचे ही फेंक देंगे। मेरे लिए यह अचरज भरी बात थी, क्योंकि पुलिसवाले रोम (यूरोप !) में खुलेआम ऐसा कर रहे थे।
इसके अलावा बहुत सारे गाइड टाइप की आईडी लटकाए हुए पंजाबी या पाकिस्तानी मर्द भी दिखे। रोमन फोरम देखने के बाद हमलोगों को टॉयलेट ढूंढने में दिक्कत हो रही थी तो मैंने पाकिस्तानी से दिखने वाले गाइड से हिंदी में मदद माँगी। उसी ने बताया कि उस पास वाले रेस्त्रा में टॉयलेट है। इटालियन लोगों का मैनेजमेंट थोड़ा लचर दिखा। 1000 से ज़्यादा लोग और इमारत के पास एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है। भारत का सुलभ इंटरनेशनल यहाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।