छोटे बच्चों को सुलाने के लिए गाए जाने वाले गानों को लोरी कहा जाता है। इन्हें आमतौर पर माताएँ गाती हैं , लेकिन इन्हें पिता भी गाते हैं। सरलता और मधुरता से भरे हुए ये गीत न सिर्फ़ बच्चों को शान्ति से सोने में मदद करते हैं, बल्कि उन्हें यह भी अहसास दिलाती हैं कि उनके माँ-बाप उनके करीब हैं और उन्हें प्यार करते हैं। सैकड़ों वर्षों से दुनिया की लगभग सभी भाषाओं में लोरियाँ गाईं जाती हैं। ज़्यादातर लोरियाँ लोकगीत हैं, जिनके रचयिता का नाम अज्ञात है। कई बार इन्हें गाने वाली माँएं इनमें अपनी मर्ज़ी से शब्दों को जोड़ती-घटाती है, इस वज़ह से लोरियाँ भी हमेशा विकसित होती रहती हैं। हिन्दी और उसकी लोकभाषाओं में भी लोरियों का बाहुल्य है। लेकिन लोरियों को असली लोकप्रियता और टिकाऊपना हिन्दी फ़िल्मों ने ही दिलवाया है। आज हिन्दी फ़िल्मों में गाई गईं अनेक लोरियाँ लोगों को मुँहज़ुबानी याद हैं, इन लोरियों को अलग-अलग नामी गीतकारों ने कलमबद्ध किया है। लेकिन इन सभी लोरियों को उनके लय की सरलता और मधुरता जोड़ती है।
बेटियों के लिए गाई गईं हिन्दी की कुछ लोरियाँ आप यहाँ सुन सकते हैं –
लल्ला-लल्ला लोरी दूध की कटोरी
चाँदनी रे झूम
नन्ही कली सोने चली
सुरमयी अंखियों में
ना रो मुन्नी
धीरे से आ जा अँखियन में
मैं गाऊँ तुम सो जाओ
दो नैना एक कहानी, थोड़ा सा बादल, थोड़ा सा पानी
सो जा राजकुमारी, सो जा
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