
जापानी ज़ेन बोधकथा
एक समय की बात है। एक आदमी जंगल के रास्ते अपने गाँव जा रहा था। दोपहर का वक्त था। आदमी गुनगुनाते हुए आराम से पैदल चला जा रहा था। तभी अचानक उसके सामने एक बाघ आ गया। बाघ उसे दूर से देखकर गुर्राया। अपनी जान बचाकर आदमी वहाँ से भाग खड़ा हुआ। बाघ भी उसके पीछे भागने लगा। भागते-भागते आदमी एक पहाड़ी के ऊपर चढ़ गया। बाघ भी पहाड़ी पर चला आया। जान बचाने की कोशिश में आदमी पहाड़ी की चोटी से झूलती एक बेल को पकड़कर लटक गया। बाघ का गुर्राना धीरे-धीरे कम होता गया। आदमी बेल से लटका रहा है। तभी पहाड़ी की ओट से दो चूहे बाहर निकल आये। आदमी जिस बेल को पकड़कर लटका हुआ था वे चूहे उसे अपने दाँतो से कुतरने लगे। आदमी की हालत और बुरी हो गई। वह बहुत निराश हो गया। तभी उसी बेल पर आदमी को एक लाल जंगली रसभरी का फल लटका हुआ दिखाई दिया। आदमी ने उस फल को तोड़ा और गप्प से मुँह में डाल लिया। वह रसभरी का फल बहुत मीठा और स्वादिष्ट था।
(इसका मतलब है। वर्तमान का मज़ा लीजिए। भूत और भविष्य की चिंता छोड़िए।)
हिन्दी अनुवाद – अभिषेक अवतंस