चाय का प्याला (The Cup of Tea)
जापान के मेइजी काल में एक बार एक ज़ेन साधु नान-इन के पास एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज़ेन बौद्ध दर्शन का ज्ञान लेने के लिए आए। नाइ-इन ने उनके लिए हरी चाय बनाई। उन्होंने प्रोफेसर साहब के प्याले में चाय भर दी और तब तक भरते रहे जब तक प्याले से चाय बाहर न बहने लगी। इसे देख प्रोफेसर साहब ने कहा – बस-बस अब इसमें और चाय नहीं समा पाएगी।
नान-इन ने कहा – आप भी इसी प्याले की तरह हैं, आप भी अपनी विचारधाराओं, अवधारणाओं और मान्यताओं से भरे हुए हैं। पहले अपना प्याला तो खाली कीजिए तब ही ज़ेन का ज्ञान आपके अंदर समा पाएगा।
बोझ (The Burden)
जापान के कामाकुरा शहर में एक शाम दो ज़ेन बौद्ध साधू अपने मठ की ओर वापस जा रहे थे। बारिश होने के कारण जगह-जगह रास्ते में पानी जमा हुआ था। एक स्थान पर एक खूबसूरत औरत उदास होकर खड़ी थी। वह पानी से भरे गढ्ढे को नहीं पार कर पा रही थी। दोनों साधुओं में से बूढ़ा वाला साधू उसके पास गया और उसने औरत को अपनी गोद में उठाकर पानी से भरा गढ्ढा पार करवा दिया। दोनों साधु कुछ देर बाद अपने मठ पहुँच गए।
रात में सोने से पहले जवान साधू ने बूढ़े साधू से पूछा – गुरू जी ….एक साधू के लिए किसी औरत को छूना मना है ना?
बूढ़े साधू ने कहा – हाँ मना है।
फिर जवान साधू ने तपाक से पूछा – फिर शाम को सड़क किनारे आपने उस औरत को अपनी गोद में क्यूँ उठा लिया था?
बूढ़े साधु ने मुस्कुराते हुए कहा – मैंने तो उस औरत को उठाकर वहीं सड़क पर छोड़ दिया था, पर तुम तो अभी तक उसका बोझ उठाए हुए हो।
ज्ञान (The Knowledge)
जापान में एक युवा बौद्ध भिक्षुक को किसी ने बताया की कामाकुरा शहर के पश्चिम में एक बौद्ध मठ है जहाँ दुनिया का सबसे महान ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। युवा बौद्ध भिक्षुक ने वहाँ जाने का निश्चय किया और अपने मठ से यात्रा पर निकल पड़ा। काफी दूर चलने के बाद तीसरे दिन वह एक नदी के पास पहुँच गया। आगे का रास्ता नदी को पार कर ही पूरा किया जा सकता था। लेकिन नदी में पानी अधिक था और भिक्षुक को तैरना नहीं आता था। भिक्षुक काफी देर तक माथा-पच्ची करता रहा कि किसी तरह वह नदी को पार कर दूसरी तरफ चला जाए। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अंतत: वह हार मानकर वहीं बैठ गया। तभी उसे नदी के दूसरे किनारे पर एक बूढ़ा बौद्ध साधू बैठा दिखाई दिया। युवा भिक्षुक ने चिल्लाकर उससे पूछा – गुरू जी मुझे महान ज्ञान प्राप्त करने के लिए नदी की दूसरी तरफ जाना है, कोई उपाय बताइए?
बूढ़े साधू ने कुछ देर सोचने- विचारने के बाद जोर से चिल्ला कर कहा –
बेटा तुम दूसरी तरफ ही हो।
(हिंदी अनुवाद – अभिषेक अवतंस)
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