यह क्या हो गया है? (What has happened?)
…………………………..बर्तोल्त ब्रेख्त (Bertolt Brecht)
(हिंदी अनुवाद – अभिषेक अवतंस)
जर्मन कवि, नाटकार और निर्देशक बर्तोल ब्रेख्त का जन्म 1898 में बवेरिया (जर्मनी) में हुआ था। अपनी विलक्षण प्रतिभा से उन्होंने यूरोपीय रंगमंच को यथार्थवाद के आगे का रास्ता दिखाया। बर्तोल्त ब्रेख्त मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित थे। इसी ने उन्हें ‘समाज’ और ‘व्यक्ति’ के बीच के अंतर्संबंधों को समझने नया रास्ता सुझाया। यही समझ बाद में ‘एपिक थियेटर’ जिसकी एक प्रमुख सैद्धांतिक धारणा ‘एलियनेशन थियरी’ (अलगाव सिद्धांत) या ‘वी-इफैक्ट’ है जिसे जर्मन में ‘वरफ्रेमडंग्सइफेकेट’ (Verfremdungseffekt) कहा जाता है।ब्रेख्त का जीवन फासीवाद के खिलाफ संघर्ष का जीवन था। इसलिए उन्हें सर्वहारा नाटककार माना जाता है। ब्रेख्त की मृत्यु 1956 में बर्लिन (जर्मनी) में हुई।
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उद्योगपति अपने हवाईजहाज की मरम्मत करवा रहा है।
पादरी सोच रहा है कि आठ हफ्ते पहले अपने प्रवचन में उसने दान के बारे में क्या कहा था।
फौज़ी अफसर वर्दी उतार कर सादे कपड़ों में बैंक क्लर्कों की तरह दिखाई दे रहे हैं।
सरकारी अधिकारी दोस्ताना व्यवहार कर रहे हैं।
पुलिसवाला कपड़े की टोपी पहने आदमी को रास्ता दिखा रहा है।
मकान-मालिक यह देखने आया है कि नल में पानी आ रहा है या नहीं।
पत्रकार जनता शब्द का इस्तेमाल अधिक कर रहे हैं।
गायक मुफ्त में गाना गा रहे हैं।
जहाज का कप्तान नाविकों के खाने का जायजा ले रहा है।
कार मालिक अपने ड्राइवर की बगल में बैठ रहे हैं।
डॉक्टर बीमा कंपनियों पर मुकदमा ठोंक रहे हैं।
विद्वान अपनी खोजों को दिखाकर अपने तमगों को छिपा रहे हैं।
किसान बैरक तक आलू पहुँचा रहे हैं।
क्रांति ने अपनी पहली लड़ाई जीत ली है।
यही तो हुआ है।
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