Languages in Indian subcontinent
Languages in Indian subcontinent

यूनेस्को की संघोषणा (2003) के अनुसार ज्ञानपोषित समाज के निर्माण में हमें तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले हमें उस डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना होगा जो विकास के क्रम में विसंगतियाँ पैदा करता है और जिसकी वजह से कई देश व समूह सूचना और ज्ञान के लाभ से वंचित हो जाते हैं। दूसरा सूचना समाज में हमें डेटा/सूचना, सर्वश्रेष्ठ तकनीक और ज्ञान का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना होगा और तीसरा हमें कई नीतियों और सिद्धांतों पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक आम सहमति बनानी होगी।

इस प्रकार से ज्ञानपोषित समाज मानवाधिकारों और स्वतंत्रता की आधारशिला पर निर्मित होना चाहिए। इसमें न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए बल्कि शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों का भी उचित स्थान होना चाहिए। ज्ञानपोषित समाज में हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ज्ञान के स्रोतों पर सबकी व्यापक पहुँच हो और वह ज्ञान किसी भी भाषा/संस्कृति के लिए उपलब्ध व उपयोगी हो। संक्षेप में कहा जाए तो एक संपूर्ण ज्ञानपोषित समाज के निर्माण में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

प्रस्तुत लेख में भाषाई विविधता और ज्ञानपोषित समाज के अंतःसंबंधों पर विचार किया गया है।

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